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भारतीय न्याय संहिता: भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नया अध्याय

विषय-सूची:

  1. परिचय
  2. भारतीय न्याय संहिता का दायरा
  3. BNS 2023 में प्रमुख संशोधन
  4. BNS को प्रभावित करने वाले नवीनतम निर्णय
  5. BNS 2023 की महत्वपूर्ण धाराएँ
  6. निष्कर्ष

परिचय:

भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 एक ऐतिहासिक कानून है जो औपनिवेशिक युग की भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 का स्थान लेती है। यह विधेयक संसद द्वारा पारित किया गया और दिसंबर 2023 में राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई। BNS के साथ दो अन्य विधेयक – भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) – मिलकर भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक सुधार लाते हैं। इनका उद्देश्य न्याय प्रणाली का भारतीयकरण, पीड़ित केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना, और कानूनों को आधुनिक समय के अनुरूप बनाना है।

भारतीय न्याय संहिता का दायरा:

  1. सरलीकरण और आधुनिकीकरण: अंग्रेज़ी राज की पुरानी भाषा को हटाकर भारतीय संदर्भ में आधारित शब्दों का प्रयोग।
  2. पीड़ित केंद्रित दृष्टिकोण: अपराध पीड़ितों के अधिकारों और सहायता पर विशेष ध्यान।
  3. प्रौद्योगिकी आधारित बदलाव: साइबर अपराध, आतंकवाद, और डिजिटल सबूतों के लिए विशेष प्रावधान।
  4. लैंगिक संवेदनशीलता: सभी लिंगों के प्रति संवेदनशील और न्यायपूर्ण प्रावधान।
  5. तेजी से न्याय: अनुसंधान और सुनवाई के लिए समय सीमा निर्धारित।

BNS 2023 में प्रमुख संशोधन:

  1. राजद्रोह समाप्त: IPC की धारा 124A को समाप्त कर BNS की धारा 150 में समाहित किया गया। अब केवल भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाले कार्यों पर दंड।
  2. भीड़ द्वारा हत्या (Mob Lynching) को दंडनीय अपराध घोषित: धारा 103(2) के अंतर्गत जाति, धर्म आदि के आधार पर की गई हत्याओं पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा।
  3. आतंकवाद और संगठित अपराध: धारा 113 और धारा 109 में स्पष्ट परिभाषाएँ और कड़े दंड।
  4. सामुदायिक सेवा: धारा 69 के तहत छोटे अपराधों के लिए सुधारात्मक सज़ा।
  5. यौन अपराध और बलात्कार: IPC की पुरानी परिभाषा बरकरार लेकिन धारा 85 में त्वरित सुनवाई और मेडिकल रिपोर्ट अनिवार्य।
  6. निर्धारित समयसीमा में जांच और ट्रायल: जांच 90 दिनों में, और ट्रायल 2 वर्षों के भीतर समाप्त करने की व्यवस्था।
  7. इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की मान्यता: डिजिटल दस्तावेज़ और साक्ष्य अब कानूनी रूप से मान्य।

BNS को प्रभावित करने वाले नवीनतम निर्णय:

  1. एस.जी. वोंबटकेरे बनाम भारत संघ (2022):
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून (IPC 124A) को निष्क्रिय कर दिया, जिससे इसे BNS में हटाया गया।
  2. तहसीन पूनावाला बनाम भारत संघ (2018):
    भीड़ द्वारा हत्या पर कानून बनाने के लिए दिशानिर्देश दिए, जिसे BNS में शामिल किया गया।
  3. अर्जुन पंडित्राव खोतकर बनाम कैलाश कुशनराव (2020):
    इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को वैध माना, जिसे अब BNS और BSA में स्थापित कर दिया गया है।

BNS 2023 की महत्वपूर्ण धाराएँ:

  1. धारा 150 – भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य I IPC की धारा 124A (राजद्रोह) का स्थान लिया। देशद्रोही गतिविधियों को रोकने पर केंद्रित।
  2. धारा 103(2) – भीड़ द्वारा हत्या (Mob Lynching) नफ़रत आधारित हिंसा को रोकने के लिए सख्त दंड।
  3. धारा 69 – सामुदायिक सेवा I छोटे अपराधों के लिए जेल के बजाय सेवा आधारित दंड।
  4. धारा 113 – आतंकवादी कृत्य I आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा और कठोर दंड।
  5. धारा 109 – संगठित अपराध Iगिरोहबंदी, तस्करी, और जबरन वसूली आदि को नियंत्रित करता है।
  6. धारा 73 – तेज़ाब हमला (Acid Attack) Iअपराधियों के लिए कठोर दंड।
  7. धारा 85 – बलात्कार I पीड़िता के लिए त्वरित न्याय और समर्थन।
  8. धारा 173 – चोरी I संपत्ति चोरी को नए ढंग से परिभाषित किया गया।
  9. धारा 356 – अपराध करने का प्रयास I प्रयास भी पूर्ण अपराध जितना ही दंडनीय।
  10. धारा 354 – आपराधिक साज़िश I साज़िश की परिभाषा को आधुनिक अपराधों जैसे साइबर और आर्थिक अपराधों के अनुरूप बनाया गया।

निष्कर्ष:

भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बड़ा परिवर्तन है। यह न केवल पुराने, औपनिवेशिक कानूनों को समाप्त करता है, बल्कि पीड़ितों को केंद्र में रखकर, आधुनिक तकनीक के अनुसार न्याय प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे कितनी गंभीरता और तत्परता से लागू किया जाता है, और क्या पुलिस व न्यायपालिका को इसके अनुसार प्रशिक्षित किया गया है।

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